Your browser does not support JavaScript! पर्यावरण और सामाजिक नीति,ट्रांसमिशन के लिए प्रक्रिया और वितरण परियोजना / उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड, उत्तर प्रदेश सरकार, भारत की आधिकारिक वेबसाइट में आपका स्वागत है

पर्यावरण और सामाजिक नीति,ट्रांसमिशन के लिए प्रक्रिया और वितरण परियोजना

परिचय:

उत्तर प्रदेश सरकार 1999 में “उत्तर प्रदेश विद्युत सुधार विधेयक” लायी थी, जिससे प्रदेश में विद्युत की जरूरतों को पूरा किया जा सके और उपभोक्ताओं को सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता और लागत प्रभावी बिजली की आपूर्ति की जा सके और साथ ही स्वच्छ, सुरक्षित और अनुकूल वातावरण प्रदान किया जा सके, जिससे न्यूनतम/बिल्कुल नहीं सामाजिक दिक्कतें न आएं। इस कार्यक्रम में नए सब-स्टेशनों का निर्माण और ट्रांसमिशन लाईनों की स्थापना का कार्य भी सम्मिलित किया जाएगा। विद्युत उत्पादन इकाइयों और विकासशील प्रक्रियाओं के बीच सब-स्टेशनों, ट्रांसमिशन और वितरण लाईने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यूपीपीसीएल को यह पता है कि ट्रांसमिशन और वितरण योजनाओं के कार्यन्वयन में कुछ अपरिहार्य पर्यावरणीय और सामाजिक निहितार्थ होंगे। सब-स्टेशनों का निर्माण और ट्रांसमिशन लाईनों को बिछाने की प्रक्रियाओं में भूमी और अन्य कुछ संपत्तियों का अधिग्रहण और कुछ अस्थायी नुकसानों का सामना करना होगा जिसमें, फसलों की क्षति भी शामिल होगी। इन सब में मानव बस्ती की विस्थापना और दिनचर्या/आजीविका में कुछ दिक्कतें भी आ सकती हैं। प्रदेश के विकास में, ये उन संगठनों या संस्थाओं की जिम्मेदारी होगी कि विस्थापित लोगों का ठीक प्रकार से ध्यान रखा जाए और जल्द से जल्द उन्हें पुनर्स्थापित कराया जाए और उनका ठीक तरीके से पुनर्वास कराया गया हो, जिससे उनके रहने के तरीके में विकास हो सके। यह इस उद्देश्य से किया जाना चाहिए कि यूपीपीसीएल ने सामाजिक नीति एवं प्रक्रिया (एसपी एण्ड पी) तैयार की हो, जिसमें ट्रांसमिशन परियोजना के विकास और विपरीत प्रभावों की व्याख्या भी शामिल होगी। यूपीपीसीएल अपनी प्रत्येक प्रक्रिया या कार्यक्रमों में स्वच्छ पर्यावरण और स्थिर विकास के लिए भी सजग रहता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यूपीपीसीएल ने पर्यावरणीय कार्यप्रणाली भी बनायी है और ट्रांसमिशन और वितरण परियोजनाओं और पर्यावरण प्रबंधन योजना भी तैयार की है। एसपी एण्ड पी और पर्यावरणीय नीति और प्रबंधन प्रक्रियाओं को यूपीपीसीएल या उससे संबंधित कंपनियों द्वारा क्रियान्वयन किया जाएगा। निर्धारित नीति के प्रावधानों को लोगों तक पहुंचाने के लिए ब्रोशर भी तैयार किए गए हैं और सभी अधिकारियों और संबंधित स्टाफ को दे दिए गए हैं, ताकि ऊपरी नीति और पर्यावरणीय प्रबंधन योजनाओं का ठीक तरीके से निष्पादन किया जा सके।

सामाजिक नीति विवरण:

यूपीपीसीएल इस ओर भी लक्षित है कि इस ट्रांसमिशन और वितरण परियोजनाओं से प्रभावित नागरिकों को पुनर्स्थापित करने और पुनर्वास कराने में मदद करे, जिससे उन प्रभावित लोगों पर इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े और उनकी जीवनशैली और सुधर सके या उनकी पुरानी जीवनशैली की तरह ही उनका जीवन हो सके।

प्रयोजनीयता:

ये सामाजिक नीति और प्रक्रियाएं उन लोगों पर लागू होंगे जो जनगणना सर्वेक्षण के अनुसार कृषि और परियोजना प्रभावित क्षेत्र में कार्यरत होंगे एवं उन्हें उससे उनकी जीवनशैली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हो।

विभिन्न श्रेणियों के प्रभावों के लिए समर्थन सिद्धांतों:

निजी स्वामित्व वाली भूमि का नुकसान

अधिग्रहित भूमि की मुआवजा द्वारा प्रतिस्थापना की जाएगी। जहां कहीं भी कमजोर समुदाय के नागरिकों का 25% से ज्यादा नुकसान हुआ होगा या बची हुई भूमि एक मानक हेक्टेयर से कम होगी; उन्हें जमीन के बदले जमीन का विकल्प दिया जाएगा और साथ ही पुनर्वास अनुदान भी दिया जाएगा जो 750 दिन के न्यूनतम कृषि वेतन के बराबर होगा।

घर और अन्य संपत्ति खोने के स्थिति में

घर, घर-अनुबंध, कुएं या अन्य किसी भी संपत्ति के नुकसान का मुआवजा, प्रतिस्थापन मूल्य पर दिया जाएगा, जिसका मूल्यांकन पीडब्लूडी के आधारीय दर अनुसूची के आधार पर तय किया जाएगा, जो नए निर्माण में लागू होगा और इसमें मूल्यह्रास नहीं काटा जाएगा। जहां कहीं भी 25 घरों से ज्यादा घर होंगे, उसके लिए पुनर्वास के लिए विकल्प बनाए जाएंगे, जहां पर पार्याप्त मूल इंफ्रास्ट्रक्चर और उपयोगिताओं के साधन होंगे।

अनधिकृत निवासी और अतिक्रमणकारी

आमतौर पर भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अनधिकृत निवासियों और अतिक्रमणकारियों को विधिक मुआवजा नहीं दिया जाता है। हालांकि इन्हें आगे की दरिद्रता से रोकने के लिए और इनकी जीवनशैली सुधारने के लिए, परियोजना के तहत इन्हें कुछ हद तक सहायता प्रदान की जाती है और कमजोर वर्ग में आने वाले अनधिकृत निवासियों को सहायता दी जा सकती है।

ट्रांसमिशन लाईनों के कारण पड़ने वाले प्रभाव

ट्रांसमिशन टावर के क्षेत्र में भूमि इस्तेमाल पर लागू होने वाले प्रतिबंधो के कारण, प्रतिबंध के भुगतान की भरपाई के लिए एक बार राशी जमा कर दी जाएगी, अगर वो कृषि भूमि होगी तो। जहां कहीं भी फसलों को क्षति पहुंचेगी, उस हानी या क्षति का मूल्यांकन कर उसकी भरपाई करी जाएगी।

आम संपत्ति के उपयोग की हानि

आम संपत्ति जैसे कुएं, चराई भूमि, धार्मिक स्थलों आदि के उपयोग के नुकसान को नजदीक के स्थान पर विस्थापित कर दिया जाएगा।

कमजोर समुदायों को लक्षित समर्थन

प्रभावित महिलाओं के लिए आवंटित घर या कृषि भूमि को पंजीकृत कराना प्रस्तावित है, जो उसके ईपी या उसके पति या पत्नी के संयुक्त नाम पर पंजीकृत होगा। किसी भी प्रकार का राशी अनुदान का ईनाम भी उसके पति या पत्नी के संयुक्त नाम पर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त महिलाओं के लिए अन्य अनुदान जो दिए जा सकते हैं, उसमें कृषि वेतन भत्ता भी शामिल है जो न्यूनतम 20 दिनों का समकक्ष है, यह भत्ता हर महीने छहः महीने तक दिया जाएगा। यह भत्ता उन सभी श्रेणियों की महिलाओं को दिया जाएगा जो अपने परिवारों का नेतृत्व करती हों, इसके अतिरिक्त अनुदान को सरकारी योजनाओं में महिलाओं के विकास के लिए प्रयोग किया जाएगा। ये अतिरिक्त सहायता के उपाय, आम उपायों से ज्यादा होंगे, जो ईपी के लिए प्रस्तावित किए गए थें। आदिवासी आबादी वाले क्षेत्र में किए गए अधिग्रहण की क्षति की प्रतिपूर्ति के लिए इंडिजिनियस पीपल डेवेलपमेंट प्लान बनाया जाएगा। क्योंकि आदिवासी सामाजिक रूप से एकजुट समूह में रहना पसंद करते हैं, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि उन्हें ऐसे ही किसी माहौल में पुनर्वास कराया जाए, जहां से उन्हें विस्थापित किया गया है।

अधिकार

श्रेणी: 1 यदि अधिग्रहण के बाद किसी व्यक्ति का उसके स्वामित्व का 25% से अधिक के बाराबर क्षति होती है, जो एक मानक हेक्टेयर कृषि भूमि से कम के बराबर है तो:-

विक्लप-I
  1. भूमि के प्रतिस्थापन मूल्य पर मुआवजा
  2. एक बार पुनर्वास अनुदान
  3. पंजीकरण एवं अन्य व्यय
विकल्प-II
  1. जमीन के बदले जमीन
  2. एक बार पुनर्वास अनुदान
  3. पंजीकरण एवं अन्य व्यय

श्रेणी: 2 किसी व्यक्ति की यदि 25% से कम की क्षति हो रही है तो

  1. भूमि के प्रतिस्थापन मूल्य पर मुआवजा
  2. परिवर्ती भत्ता, जो कृषि वेतन के 20% के बराबर होगा तथा प्रति माह छह महीन तक मिलेगा
  3. पंजीकरण एवं अन्य व्यय

श्रेणी: 3 ऐसे व्यक्ति जिनके पेड़, कुओं और अन्य संपत्तियों का नुकसान हो रहा होगा।

  1. पेड़ों के बचे जीवनकाल के लिए उत्पाद मूल्य।
  2. कुओं और अन्य संपत्तियों के नुकसान को वास्तविक लागत से प्रतिस्थापित करना।

श्रेणी: 4 निजी जमीन पर घरों की क्षति की स्थिति में: कमजोर समूह

विकल्प-1
  1. रियासती भूमि और ढांचे के लिए प्रतिस्थापित लागत पर मुआवजा।
  2. घर निर्माण के लिए 20,000 रुपए की नकद सहायता।
  3. शिफ्टिंग के लिए 500/- रुपए की मुफ्त परिवाहन सुविधा की नकद सहायता
  4. पंजीकरण एवं अन्य व्यय
विकल्प-II
  1. प्रतिस्थापित लागत से ढांचे की लागत का मुआवजा देना।
  2. सरकारी जमीन की 100 वर्ग यार्ड का घर, मुफ्त।
  3. शिफ्टिंग के लिए 500/- रुपए की मुफ्त परिवाहन सुविधा की नकद सहायता।
  4. प्रति माह 300 रुपए का किराया सहायता, जब तक आवास उपलब्ध है, अधिकतम छह महीने तक।
विकल्प-II

तैयार फसलों के नुकसान के बाजार मूल्य के मुआवजे की अंतिम फसलों के काटने के लिए 4 महीने की अग्रिम नोटिस।

श्रेणी : 9 सरकारी जमीनों पर घरों/तैयार फसलों के नुकसान, अनधिकृत लोग: गैर संवेदनशील समूह के लिए

  1. प्रतिस्थापित मूल्य के बराबर मुआवजा
  2. तैयार फसलों के नुकसान के बाजार मूल्य के मुआवजे की अंतिम फसलों के काटने के लिए 4 महीने की अग्रिम नोटिस।

श्रेणी:10 पुराने पट्टेदारों के आवास के उपयोग का नुकसान:

पट्टेदार

  1. शिफ्टिंग के लिए 500/- रुपए की मुफ्त परिवाहन सुविधा की नकद सहायता

श्रेणी: 11 ऐसे मालिक जिनके पास एक मानक हेक्टेयर से अधिक जमीन है, और जो ट्रांसमिशन टावर से प्रभावित हुए हों, उनके लिए

  1. टावर द्वारा अच्छादित क्षेत्र की पंजीकृत लागत का 10 प्रतिशत नकद सहायता।
  2. किसी प्रकार के तैयार फसल या/पेड़ों के नुकसान के स्थिति में, मार्केट वैल्यू पर मुआवजा दिया जाएगा।

श्रेणी: 12 ऐसे मालिक जिनके पास एक मानक हेक्टयर से कम जमीन है, और जो ट्रांसमिशन टावर से प्रभावित हुए हों, उनके लिए

  1. टावर द्वारा अच्छादित क्षेत्र की पंजीकृत लागत का 20 प्रतिशत नकद सहायता।
  2. किसी प्रकार के तैयार फसल या/पेड़ों के नुकसान के स्थिति में, मार्केट वैल्यू पर मुआवजा दिया जाएगा।

श्रेणी: 13 अज्ञात जीवन शैली की अन्य संपत्तियों के नुकसान से पड़ने वाले प्रभावों के लिए।

  1. अप्रत्याशित प्रभावों के बारे में भूमिका बनाना और उसके समाधानों का प्रस्ताव रखना और उन पर काम करना।

पर्यावरणीय कार्यप्रणाली और सुरक्षा

  • पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए और अपने निहित जैव-विवधता को ध्यान में रखते हुए, प्रर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्रों में ऑपरेशन से बचना।
  • जहां पर ऊंचे पहाड़ हों, भूस्खलन का खतरा हो, लंबी झीले हों, जलाशय हों, दलदली स्थानों पर, मानव बस्तियां हों और आरक्षित वनों में काम करने से बचना।
  • सांस्कृतिक या ऐतिहासिक प्रमुखता वाले स्थानों, धार्मिक स्थानों वाले रास्तों से बचना। न्यूनतम दिक्कत या अशांति वाले रास्तों को चुनना।
  • अभयारण्यों, राष्ट्रीय पार्कों और प्रमुख प्रजातियों वाले हिस्सों में काम करने से बचना।
  • दूरसंचार लाईनों की स्थानों को विचार करने के बाद ही चुना जाना चाहिए और आपसी अधिष्ठापन के कारण विद्युत हस्तेक्षण से बचने रेलवे सर्किटों से बचना
  • बेहतरीन तकनीकि/आधुनिक उपकरण को अपनाना ताकि प्रदूषण को कम/रोका जा सके।

पार्यावरण प्रबंधन योजना

ट्रांसमिशन और वितरण परियोजनाओं में रास्तों के चयन में निहित विकल्पों पर प्रतिकूल प्रभाव अपेक्षाकृत महत्वहीन है। प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए, यदि कोई है तो, पर्यावरण प्रबंधन योजना को तैयार किया गया है। पर्यावरण प्रबंधन योजना और ऐसे महत्वपूर्ण तंत्र, जो ऐसे प्रभावों को कम करने के लिए, नियोजन के समय, निर्माण एवं कार्यों के रखरखाव के लिए उपाय बताएं उनका इस्तेमाल करना। कार्यन्वयन के समय जो पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं उनमें, वनस्पति, जंगलों और जमीन का नुकसान, भी शामिल है। इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों का नुकसान, रसायनों का उत्पादन का नुकसान और आग का खतरा बढ़ जाएगा। उपयुक्त शमन उपायों का कार्यन्वयन किया जाएगा (टेबल देखें) और विभिन्न चरणों में उसका अनुश्रवण भी किया जाएगा, जिसका निष्पादन परिक्षेत्रीय स्तर के परियोजना अधिकरियों द्वारा किया जाएगा।

संस्थागत व्यवस्था और शिकायत निवारण तंत्र

कॉर्पोरेट स्तर पर सामाजिक एवं पर्यावरणीय प्रकोष्ठ और परिक्षेत्रीय स्तर पर आई एण्ड आर कार्यन्वयन समिती, संगठन के दो ऐसे स्तर है जो आर एण्ड आर कार्यक्रमों का कार्यन्वयन करता है। मौजूदा स्टाफ को परिक्षेत्रीय महाप्रबंधक ही फील्ड स्तर पर पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्यों पर नजर रखेंगे।परिक्षेत्रीय स्तर पर आर एण्ड आरआईसी पहला निवारण है, इसके बाद प्रभावित जनता कॉर्पोरेट स्तर पर एसईसी तक अपील कर सकते हैं।

जो जानकारी दी जाएगी, वो सिर्फ प्रभावित नागरिकों के लिए ही होगी और किसी भी प्रकार के आधिकारिक प्रयोग के लिए नहीं मान्य होगी, इसमें यूपीपीसीएल की पर्यावरणीय कार्यप्रणाली और सुरक्षा और सामाजिक नीति और प्रक्रियाओं का विस्तृत प्रावधान शामिल होगा। परिक्षेत्रीय और कॉर्पोरेट कार्यालयों में ब्रोशर की प्रतियां उपलब्ध रहेंगी।

कॉर्पोरेट कार्यलय

सामाजिक एवं पार्यवरणीय प्रकोष्ठ.

14वां तल शक्ति भवन विस्तार

यूपीपीसीएल, लखनऊ

 

संभावित प्रभाव उपाय
  • प्राकृतिक जंगलों, आर्द्रभूमि, जंगली भूमि, आभयारण्य
  • वनस्पित क्षति
  • पथ/सड़कों का उपयोग
  • ड्रेनेज और कटाव की समस्याएं
  • रासायनिक संदूषण
  • विद्युत उपकरण में पीसीबी.
  • मानव बस्ती की क्षति।
  • विमान के खतरा
  • आग का खतरा
  • ध्वनि प्रदूषण
  • पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्रों से बचें।
  • ट्रांसमिशन लाईन के नीचे विनस्पति के पुनःउत्पादन की अनुमति देना
  • किसी प्रकार के रोड या पथ इस्तेमाल का निर्माण न करना लेकिन मौजूदा रोड का निर्माण कार्य में इस्तेमाल करना
  • दिवारों, पिचिंग आदि की साईटों/निर्माण की ठीक प्रकार से ग्रेडिंग
  • जंगलों को साफ/रो रखरखाव के लिए रसायन का इस्तेमाल न करना। हस्त तकनीक का इस्तेमाल किया जाना।
  • अगर संभव हो सके तो टावर बनाने के लिए निजी जमीन के इस्तेमाल से बचे।
  • सब स्टेशनों के लिए जहां तक संभव हो सके आबादी वाले इलाकों, पेड़ों और वनस्पति वाले क्षेत्रों से बचें
  • एयरक्राफ्ट रूट से दूर होकर निर्माण करना।
  • सब स्टेशनों में आग बुझाने/छिड़काव प्रणाली का इस्तेमाल करना।
  • आग के खतरे, ध्वनि प्रदूषण आदि से बचने के लिए उत्तम और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना।