उत्तर प्रदेश सरकार विद्युत अनुभाग-I
संख्या- 1185 (2)/XVII-1-2(KA) 26/2001 दिनांक लखनऊ, जुलाई 15, 2002
अधिसूचना
विविध
संविधान के अनुच्छेद 348 के खंड (3) के प्रावधान के अनुसरण में, राज्यपाल यह आदेश देते हैं कि निम्न भारतीय विद्युत (उत्तर प्रदेश संशोधन) अध्यादेश, 2002 (उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या 14 ऑफ 2002) का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन किया जाए, जैसा राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित है:-
भारतीय विद्युत
(उत्तर प्रदेश संशोधन) अध्यादेश, 2002 (यू.पी. अध्यादेश संख्या 14 OF 2002)
[गणतांत्रिक भारत के 53वें साल में राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित] एक अध्यादेश जो आगे भारतीय विद्युत अधिनियम, 1910 को अपने आवेदन में उत्तर प्रदेश के लिए संशोधित करेगा।
जबकि राज्य विधायिका सत्र में नहीं है और राज्यपाल को परिस्थितियों पर संतुष्टि है, जिससे वे तत्काल फैसला ले सकते हैं :
इसलिए संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड (1) द्वारा ताकत का इस्तेमाल करने के लिए, राज्यपाल निम्न अध्यादेश को प्रख्यापित करते हैं:-
शॉर्ट टाईटल एक्सटेंट एवं कमेंसमेंट 1.(1) यह अध्यादेश भारतीय विद्युत (उत्तर प्रदेश संशोधन) अध्यादेश, 2002 कहा जा सकता है।
(2) पूरे उत्तर प्रदेश में कार्यरत।
(3) इस अध्यादेश को एक बार में कार्यन्वयन करना होगा।
1910 के अधिनियम संख्या 9 की धारा 2 का संशोधन (2) भारतीय विद्युत अधिनियम, 1910 की धारा 2 को प्रमुख अधिनियम के तौर पर रखा गया:-
(क) खंड (ग) के बाद निम्न खंड को सम्मिलित किया गया:-
"(cc) अनुबंधित लोड का मतलब है लोड की मात्रा जिसके लिए उपभोक्ता ने आपूर्तिकर्ता से अनुबंध किया है या ऊर्जा इस्तेमाल के लिए किसी प्रकार का अनुबंध लाया गया है और जहां ऐसा कोई अनुबंध नहीं किया गया है जिसमें आपूर्तिकर्ता द्वारा उपभोक्त को किसी प्रकार के लोड के स्वीकृति का वर्णन न हुआ हो।
(b) खंड (m) के बाद निम्न खंड को सम्मिलित किया जाना चाहिए:-
"(mm) आपूर्तिकर्ता का तात्पर्य लाईसेन्सी, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सरकार या कोई ऐसा व्यक्ति जो इस अधिनियम या किसी अन्य कानून के तहत विद्युत वितरण के व्यापार में सम्मिलित हो या उसका कोई प्रतिनिधि से तात्पर्य है उसका कोई प्रतिनिधि से तात्पर्य है।”
3. प्रमुख अधिनियम धारा 39 में- (अनुच्छेद 39 का संशोधन)
(a) सब स्टेशन के लिए (1) निम्न सब-स्टेशनों को सम्मिलित किया जाना चाहिए-
(1) कोई भी किसी भी प्रकार की ऊर्जा का इस्तेमाल करता है, जिसका उद्देश्य एक दर अनुसूची के तहत आपूर्ति होता है, जिसके लिए हाई टैरिफ उपयुक्त है या गलत तरीके से इस्तेमाल करना, उपभोग करना या ऐसे किसी गलत तरीके के लिए प्रयास करता है -
(क) या धारा 26 में किसी मीटर के द्वारा
(ख) या ऐसे मीटर से या उसकी सील से छेड़छाड़, या उसके सर्किट के साथ
(ग) या ऐसे मीटर के कार्यों में बाधा उत्पन्न करने पर,
(घ) या विद्युत आपूर्ति लाईन के फेज में परिवर्तन करने पर
(ड) या किसी भी प्रकार के मीटर, सूचक या तंत्र से छेड़छाड़ करने पर जो धारा 26 के उप-धारा (7) से संबंधित हो
(ट) या किसी प्रकारी के कटे हुए कनेक्शन से कनेक्शन लेना
(ठ) या किसी अन्य प्रकार के तरीके से
जहां लोड का इस्तेमाल, उपभोग या उपयोग या इस प्रकार के किसी भी कार्य का प्रयास किया गया हो, दंडनीय है:-
(i) 7.5 किलोवॉट से अधिक नहीं होने पर, जिसके बाद दो ढाई हजार रुपए का जुर्माना लगेगा और दोहराने या बार-बार करने पर जुर्माने की राशी 10,000 रुपए तक बढ़ा दिया जाएगा।
(ii) 7.5 किलोवॉट से अधिक होता है पर 20 किलोवॉट से अधिक नहीं होता है, जिसके बाद जुर्माना पांच हजार रुपए से कम का नहीं होगा और दोहराने या बार-बार करने पर इस जुर्माने की राशी पच्चीस हजार रुपए तक बढ़ जाएगी।
(iii) 20 किलोवॉट से अधिक होता है पर 40 किलोवॉट से अधिक नहीं होता है, जिसके बाद जुर्माना सात हजार पांच सौ रुपए लगेगा और दोहराने या बार-बार करने पर इस जुर्माने की राशी पैतीस हजार रुपए तक बढ़ जाएगी।
(iv) 40 किलोवॉट से अधिक होता है पर 75 किलोवॉट से अधिक नहीं होता है, जिसके बाद जुर्माना दस हजार रुपए लगेगा और दोहराने या बार-बार करने पर इस जुर्माने की राशी पैतीस हजार रुपए तक बढ़ जाएगी या छह महीने का कारावास होगा।
(v) 75 किलोवॉट से अधिक होने पर करावास की सजा जो कि छह महीने तक हो सकता है और जुर्माना भी हो सकता है जिसकी राशी पचास हजार रुपए होगी और दोहराने या बार-बार करने पर 3 साल का करावास की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने का भुगतान।
(b) उपधारा (3) लोप कर दिया जायेगा।
(4) प्रमुख अधिनियम की धारा 39-A के लिए, निम्न धारा प्रतिस्थापित किया जाएगा (धारा 39-A का संशोधन)
39-A का उल्लंघन, जो कोई भी धारा 39 या धारा 39-C के तहत अपराध करता है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आईपीसी की धारा 116 के तहत दंडित करने का प्रावधान है।
विवरण:-
जो कोई भी धारा 39 या धारा 39-C के तहत किसी प्रकार का दंडनीय अपराध करेगा, जैसा भी मामला हो, उसे दंडित करने का प्रावधान है-
(क) किसी भी व्यक्ति को इस प्रकार के अपराध करने के लिए उकसाने के लिए,
(ख) या ऐसे किसी अपराध को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मदद करना, किसी प्रक्रिया द्वारा या किसी उल्लंघन द्वारा, ऐसे अपराध के लिए,
(ग) एक अधिकारी या कर्मचारी जो आपूर्तिकर्ता की नौकरी के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और उसके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो,
(घ) किसी एक या एक से अधिक या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ या खुद ऐसे किसी अपराध में शामिल रहना, या अगर ऐसे किसी अपराध या षड़यंत्र में शामिल होने के अवस्था में या ऐसे कोई अपराध करने की अवस्था में।
(5) प्रमुख अधिनियम की धारा 39-A के बाद निम्न अधिनियम को सम्मिलित किया जाना होगा- नई धाराएं- 39-B, 39-C, 39-D, 39-E, 39-F और 39-G।
इस अधिनियम के तहत पावर कॉर्पोरेशन द्वारा सशक्त किये गए अधिकारी या प्राधिकरण द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा किसी आम (39-B अपराधों से समझौता) या खास आदेश का उल्लंघन करने पर, या अभियोजन पक्ष के पहले या बाद ऐसे समझौते के अनुभूति के बाद के लिए, ऐसे शुल्क की सीमा अपराध के जुर्माने की अधिकतम राशी से बढ़ायी नहीं जाएगी।
जो कोई भी-
(क) किसी भी ऊर्जा से निपटना या किसी उपकरण को अनुकूल बनाना, जिससे अनावश्यक रूप से या अनुचित तरीके से 30-सी मालप्रेक्टिस को आपूर्तिकर्ता द्वारा ऊर्जा की उपयुक्त आपूर्ति के साथ हस्तक्षेप कराया जा सके।
(ख) या, आपूर्तिकर्ता की अनुमति के बिना अपने परिसर में लोड का कनेक्शन कराना (अनुबंधित लोड से अधिक)
यह उपधारा निम्न उपभोक्ताओं की श्रेणियों पर लागू नहीं होगी:-
(i) जिसके पास 10 किलोवॉट का अनुबंधित लोड हो;
(ii) या, जहां अनुबंधित लोड 10 किलोवॉट से अधिक हो वहां अनुबंधित लोड से ऊपर या अधिक 25 फीसदी से अधिक तक हो सकता है;
(ग) किसी अन्य परिसर में बिक्री के उद्देश्य के बिना ऊर्जा की आपूर्ति करना
(घ) नौकरी पर तैनात आपूर्तिकर्ता का अधिकारी या कर्मचारी होने के नाते;
(i) उपभोक्ता के परिसर में स्थापित मीटर का रिकॉर्ड मीटर रीडिंग, ऐसे मीटर की रीडिंग की जान-बूझकर अन्देखी करना,
(ii) या, उपभोक्ता के परिसर में स्थापित क्षतिग्रस्त मीटर को हटाना और दूसरा स्थापित करना, ऐसे क्षतिग्रस्त मीटर को जान-बूझकर या जान कर अनदेखी करना (आपूर्तिकर्ता को आर्थिक हानि पैदा करने के उद्देश्य से)।
(iii) या, उपभोक्ता द्वारा ऊर्जा के भुगतान करने हेतु बिल बनाना, ऐसे में जान-बूझकर या जान कर गलत बिल बनाना (उपभोक्ता को या आपूर्तिकर्ता को आर्थिक हानी पहुचाने के उद्देश्य से),
(iv) या, उपभोक्ता को विद्युत बिल भेजना, ऐसे में जान-बूझकर या जान कर उपभोक्ता को बिल न भेजना,
(v) उपभोक्ता से विद्युत के शुल्क का बताना, ऐसे में जान-बूझकर या जान कर ऐसी शुल्क का उपभोक्ता को न बताना या देर से बताना, अपराध माना जाएगा।
जो कोई यह अपराध करेगा उसे दंडित किए जाने का प्रावधान है, जिसके तहत रुपए पच्चीस हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। अपराध के लिए 39-D जुर्माना।
39-E विद्युत निरीक्षक के अधिकारों पर रोक इस अधिनियम के अन्य प्रावधानों या अन्य किसी कानून के लागू होने तक, कोई भी विद्युत निरीक्षक बिजली चोरी या इस अधिनियम के तहत अपराध से संबंधित किसी भी मुद्दे में अपने अधिकारों से वंछित रहेगा।
39-F जिलाधिकारी के अधिकार कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर, 1973 के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जिलाधिकारी को यह अधिकार है कि आयोग द्वारा आपराधिक सूचना प्राप्त होने पर धारा-39 या धारा 39-A या धारा 39-D के तहत वह इस पर कार्यवायी कर सकता है, जिसके तहत वह तत्काल प्रभाव से कोई भी कार्यवाही कर सकता है और अपने साथ एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट अधीनस्थ और उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एक अधिशासी अभियंता को (जो उन्ही के अधिकार क्षेत्र में कार्यरत हो) नियुक्त कर घटनास्थल पर जाकर उचित कार्यवाही कर ऐसे अपराधों के खिलाफ उचित कदम उठा सकते हैं।
39-G अभियोजन पक्ष हेतु पूर्व स्वीकृति इस अधिनियम के तहत कोई भी दंडनीय अपराध में कोई भी कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता है, अगर अपराध उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अधिकारी या कर्मचारी द्वारा किया जाता है, जिसे वो अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निष्पादन करते समय करता है।
ऐसे मामले में यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी जो अवर अभियंता के पद या उसके समकक्ष कोई पद पर तैनात होता है, जो मुख्य अभियंता (वितरण) से संबंधित परिक्षेत्र में आता हो।
(ख) उल्लिखित निगम के संबंधित अधिकारी या कर्मचारी।
(ग) खंड (क) और खंड (ख) में उल्लिखित सामग्री के बावजूद, राज्य सरकार, आवश्यकता अनुसार, खंड (क) और खंड (ख) इस संबंध में अधिकारियों को नियुक्त करता है, ताकि इस संबंध में निर्धारित समय में उनके द्वारा पूर्व स्वीकृति दी जा सके और यदि नियुक्त अधिकारी स्वीकृति देने में असमर्थ रहता है तो, प्रदेश सरकार ही ऐसी पूर्व अनुमती प्रदान कर सकती है।
विवरण:- अपने संशयों को दूर करने के लिए, इस खंड के तहत यह स्पष्ट किया जा चुका है कि ऐसे मामलों में जहां अधिकारियों ने खंड (क) या खंड (ख) में पूर्व अनुमति देने से इन्कार कर दिया हो वहां राज्य सरकार द्वारा अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
(VI) प्रमुख अधिनियम की धारा-48 में शब्द और आंकड़ों के लिए “धारा 39-A” शब्द और आंकड़े “धारा-A, धारा 39-C” को प्रतिस्थापित किया जाएगा। धारा 48 का संशोधन
(VII) प्रमुख अधिनियम में धारा 49-B के लिए, निम्न धाराएं प्रतिस्थापित किया जाएगा, धारा 49-B का संशोधन
(1)- इस अधिनियम के तहत अपराधी को कारावास की सजा से दंडित किए जाने का प्रावधान है और बहकाने या उकसाने के मामले में संज्ञान और गैर-जमानती (49-B कुछ अपराध संज्ञानात्मक और जमानती या गैर-जमानती)
(2) इस अधिनियम के तहत या बहकाने या उकसाने पर जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान, संज्ञनात्मक या जमानती होगा।
(1) आपराधिक प्रक्रिया, 1973 की संहित के प्रावधानों के पक्षपात के बिना, जो भी आपूर्तिकर्ता या कोई आधिकारिक व्यक्ति जो इस संबंध में खोज या जब्ती से संबंधित हो, यह मान सकता है कि कोई भी अपराध (49 C खोज, जब्ती और निरीक्षण) जो हो चुका हो या जो हो रहा हो या जो होने वाला हो, किसी परिसर या कहीं भी होने वाला हो धारा 39, धारा 39-C के तहत दंडनीय है और आधिकारिक व्यक्ति उपयुक्त सहायता प्राप्त कर सकता है
(क) आधिकारिक व्यक्ति ऐसे परिसरों, जगहों या अन्य किसी भी ऐसी जगह में जाना, निरीक्षण और तलाशी ले सकता है और ऐसे कामों में आवश्यक न्यून्तम बल का भी प्रयोग कर सकता है।
(ख) उस परिसर, गाड़ी या ऐसी जगह पर किसी भी प्रकार की ऊर्जा को चोरी करने के साधनों या अपराध के साधनों को जब्त करने का अधिकार।
(ग) ऐसे अपराधों में जानकारी या सूचना प्राप्त करने हेतु किसी भी संबंधित परिसर या स्थान के मालिक, ठेकेदार या प्रभारी से पूछताछ कर सकता है या किसी ऐसे व्यक्ति से पूछताछ करने का भी अधिकार होगा जो बहीखाता, एकाउंट बुक या अन्य किसी प्रकार के दस्तावेज तैयार करता होगा।
(घ) किसी भी बहीखाता या एकाउंट बुक या किसी भी दस्तावेज का निरीक्षण कर जब्त करने का अधिकार भी होगा जो उनके अनुसार अपराध या अपराध से संबंधित व्यक्ति से पूछताछ या आगे की निरीक्षण प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होगा और अपनी मौजूदगी में ऐसे दस्तावेजों या बहीखाता या एकाउंट बुक के प्राभारी से उन दस्तावेजों की प्रति या जानकारी निकालने का आदेश दे सकता है।
(2) अगर परिसर के निरीक्षण के समय उप-धारा (1) के तहत, ठेकेदार को अपराध करते हुए या अपराध करने का प्रयास करते हुए पकड़ा जाता है तो, ऐसे परिसर का बिजली आपूर्ति को तुरंत बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दिया जाएगा और निरीक्षक के स्थल पर ही एक निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करने का भी अधिकार होगा और जहां तक संभव हो सकेगा, उस समय उपस्थित ठेकेदार या उसके प्रतिनिधी से उस पर हस्ताक्षर भी कराने का अधिकार होगा और निरीक्षण रिपोर्ट की एक प्रति उसे भी प्रेषित की जाएगी और यदि वह ऐसी रिपोर्ट की प्रति को लेने से मना करता है तो, 24 घंटे के अंदर पंजीकृत डाक द्वारा उसे निरीक्षण रिपोर्ट की प्रति भेजी जाएगी।
(3) उप-धारा (2) के तहत तैयार की गई निरीक्षण रिपोर्ट को सभी कानूनी कार्यवाहियों में प्रथम दृष्टया साक्ष्य के तौर पर मानी जाएगी और तथ्यों को प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।
विषुकांत शास्त्री, राज्यपाल, उत्तर प्रदेश।